भाई का बदला (भाग-2)



दोस्तों पिछले भाग में आपने पढ़ा था कि राम को शहर में एक आदमी ने काम करने के लिए रखा था लेकिन साथ ही उसने कुछ सामान भी रख लिया था।
शर्त यह थी कि काम कोई भी हो जैसा बोला जाएगा, वैसा ही करना होगा और खाने में एक पत्ते पर चावल या फिर एक टुकड़े की रोटी दोनों में से कोई एक ही मिलेगा। और अगर मालिक किसी कारण से राम को नौकरी से निकाल देता है तो राम नहीं तो मालिक को नौकरी से निकाला जा सकता है। लेकिन अगर राम काम नहीं कर पाया और अपनी तरफ से काम छोड़ने की बात करने लगा तो मालिक ने अपना नाक कटवा लिया और नौकरी से निकाल दिया।
उस आदमी की बात राम को छोटी सी सोच में पोस्ट की गई। एक पत्ते में चावल माँगा क्या होगा तो पेट भी नहीं भरेगा और कहीं कोई काम भी नहीं मिल रहा है। अंतिम विचार के बाद राम को एक टुकड़ा रोटी पर काम करने का मन हो गया।
अगले ही दिन से राम काम लग गया। राम बहुत मेहनत और ईमानदारी से काम करते थे। दिन भर बहुत मेहनत की लेकिन बेचारे को खाने के लिए जैसी बात हुई थी आज एक टुकड़ा रोटी सुबह और एक टुकड़ा रोटी शाम को खाने को मिलती थी जिससे धीरे-धीरे राम की तबीयत खराब हो गई। कुछ ही दिनों में राम ने हार मान ली और उस आदमी से नौकरी छूट की बात कह डाली। उस आदमी ने शर्त के अनुसार राम की नाक काट ली और उसे छुट्टी दे दी।
राम अपना मुँह छुपाते हुए किसी तरह अपने घर को वापस आ गया और सारी बात अपने मां बाप को बताई.........

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