दुर्योधन


दुर्योधन!

महाभारत का ही नहीं विश्व के सबसे बड़े खलनायकों का आदिगुरू।

आपको शायद यह शब्द अजीब लग रहा होगा लेकिन सत्य यही है। संसार में एक से एक हिंसक और खूँख्वार  पात्र हुये लेकिन दुर्योधन संसार का पहला अनूठा खलनायक था।

क्या वह रावण से ज्यादा खतरनाक योद्धा था?
क्या वह अलैग्जेंड्रिया की लाइब्रेरी जलाने वाले खलीफा उमर  से बड़ा बर्बर था?
क्या वह तैमूर गजनवी और औरंगजेब जैसे मुस्लिम बादशाहों जैसा हत्यारा था?

नहीं, वह इन पैशाचिक गुणों में इनके आसपास भी नहीं था लेकिन उसमें एक ऐसी कला थी जिसने न केवल उस युग के जनसामान्य ही नहीं बल्कि राजनीति के माहिर ऋषियों व राजाओं को भी भ्रमित कर दिया।

वह घोर अन्यायी और परपीड़क होने के बावजूद स्वयं को पीड़ित  प्रदर्शित करने में माहिर था।

वह झूठा केवल बात बनाने में माहिर था।

उसकी इस कला ने उसके बर्बर कार्यों और पापों को ही नहीं ढंक लिया बल्कि उल्टे पांडवों को ही लगभग अधर्मी सिद्ध कर दिया।

भरतवंश में योग्यतम राजकुमार को राज्य देने की परंपरा थी और उसने जनसामान्य के सामने सिद्ध कर दिया कि उसे केवल उसके पिता की नेत्रहीनता की सजा मिल रही है।

उसने धूर्ततापूर्वक मायामहल में हुई घटना को पूर्णतः झूठ बोलकर द्रोपदी द्वारा 'अंधे का बेटा' कहने से जोड़कर प्रस्तुत किया जबकि  महाभारत के अनुसार द्रौपदी ने ऐसा कुछ कहा ही नहीं था।

उसने पांडवों को धृतराष्ट्र के माध्यम से द्यूत खेलने की आज्ञा दी और 'द्यूत मर्यादा' के अंतर्गत जबरदस्ती पांडवों और द्रौपदी को दाँव पर लगाने के लिये मजबूर किया और दुनियाँ के सामने युधिष्ठिर को 'जुआरी' साबित कर दिया।

उसकी फेक नैरेटिव गढ़ने की क्षमता का अंदाजा इसीसे लगा लीजिये कि उसने कृष्ण पर युद्ध के नियमों को तोड़ने वाला छलिया साबित कर दिया जबकि राजकुमार श्वेत से लेकर अभिमन्यु की निरीह हत्या से लेकर अर्जुन और भीम की हत्या के लिये इन एकल योद्धाओं  पर क्रमशः सुशर्मा की पूरी संशप्तक सेनाओं और कलिंगराज की हाथियों की सेनाओं का आक्रमण तक करवाया।

संसार में अन्यायी और पापी होने के बाद भी स्वयं को विक्टिम प्रदर्शित करने वाला व्यक्ति और जनसमूह अत्यंत कुटिल और भयानक रूप से खतरनाक होता है   और इस दृष्टि से दुर्योधन ऊपर वर्णित खलनायकों से  दस गुना ज्यादा खतरनाक था।

क्या पांडव युद्ध जीत पाते?

सवाल ही नहीं था, अगर कृष्ण न होते।


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