माँ का कर्ज़




एक छोटे से परिवार में तीन लोग रहते थे । एक माँ उसका बेटा और बहु सब लोग बहुत ही खुश थे बेटा जॉब करता था । प्राइवेट कंपनी थी लेकिन सेलेरी इतनी थी कि उसके परिवार का गुजारा अच्छे से हो जाता था । लड़का अपनी माँ और पत्नी दोनों को ही बहुत प्यार करता था । वह अपनी माँ को वो सभी खुशियाँ देना चाहता था। जो उसके बस में था इसलिए एक उसने अपनी माँ से पूछा, "माँ लोग कहते हैं की माँ का कर्ज़् कोई कभी नहीं उतार सकता?" तो माँ ने कहा, सही बात है माँ बाप का कर्ज़ कोई कभी नहीं उतार सकता।
बेटा बोला, लेकिन माँ मै आपका कर्ज़ उतारना चाहता हूँ।
माँ बोली, बेटा जिद मत कर तुझसे नहीं हो पायेगा। लेकिन बेटा नहीं माना, वह बोला माँ आप बस इतना बताओ कि मुझे करना क्या है। 
जब माँ को लगा कि यह नहीं मानेगा तो उन्होंने कहा ठीक है।
मैने तुझे जो अपने पेट में रखा था उसके लिए मै यह नहीं कहूँगी चलो तुम भी अपने पेट में दो किलो का पत्थर बांध कर नव महीने तक घूमते रहो । तुम्हे केवल एक वर्ष तक मेरे साथ बिना किसी सवाल के जैसा मै कहूं वैसा ही करना होगा और मेरे बिस्तर पर ही सोना होगा ।
 लड़का बोला बस केवल एक साल ही सोना है न । माँ ने कहा , हाँ केवल एक साल तक।
लड़का बोला , तो ठीक है तो कल से ही शुरुवात कर देते है।
माँ ने कहा, ठीक है लेकिन ख्याल रखना मुझसे कोई भी सवाल नहीं करेगा तू। ठीक है, लड़के ने कहा।
अगले ही दिन से लड़का अपनी माँ के साथ उसके बिस्तर पर सोने लगा ।
जैसे ही वह अपनी माँ के बिस्तर पर सोने गया तो देखा की उसकी माँ पहले से ही बिस्तर पर एक साइड सोयी हुई है। दूसरी साइड में जैसे ही वह लेटा, अचानक से ही वह चौंक कर उठ गया देखा तो बिस्तर गीला था ।  उसे बुरा तो बहुत लगा लेकिन अपनी अपनी माँ से वादा किया था कि वह कोई सवाल नहीं करेगा इसलिए वह चुपचाप किसी तरह लेट गया।
बिस्तर गीला होने की वजह से वह करवटे बदलता रहा लेकिन सारी रात गुजर गयी लेकिन उसे नींद नहीं आयी । इसी तरह उसे रोज ही बिस्तर गीला ही मिलता था और उसकी माँ बिस्तर की दूसरी साइड आराम से चैन की नींद सोती थी।
रोज रोज नींद ना पूरी हो पाने की वजह से वह ऑफिस का  काम भी नहीं कर पा रहा था। एक हफ्ता भी नहीं हुआ था कि उससे नहीं रहा गया और उसने अपनी माँ से सवाल कर लिया । माँ ऐसे कैसे चलेगा आप रोज रोज बिस्तर गीला कर दोगी तो मै कैसे सो सकता हूं। ऐसे तो एक साल तो क्या मै एक महीना भी नहीं सो सकता हूं।
माँ ने कहा, क्यों क्या हो गया । माँ का कर्ज़ नहीं चुकाना है।
अभी तो एक हफ्ता भी नहीं हुआ है । 
बच्चे जब बिस्तर गीला कर देते हैं तो कोई भी माँ अपने बच्चे को अपने से अलग तो नहीं कर देती । और फिर अभी तो बहुत कुछ बाकी है बेटा ।
अपनी माँ की बातें सुनकर उसे बचपन की धुंधली सी याद आने लगी वह समझ गया की उसकी माँ क्या कहना चाहती है। उसने अपनी माँ से माफी मांगी और ठीक, आपने सच ही कहा था कोई भी अपनी माँ का कर्ज कभी नहीं मिटा सकता।

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