बीरबल की महानता(भाग एक)

 बीरबल की खिचड़ी

 बादशाह अकबर के शासन काल के समय की बात है

भाग एक
सर्दी का मौसम था चारों तरफ घना कोहरा छाया हुआ था।  कहीं दूर दूर तक लोग नजर नहीं आ रहे थे । सभी लोग अपने अपने घरों में दुबके हुए थे। कोई अलाव जलाकर बैठा हुआ था तो कोई बिस्तर में दुबका हुआ था। कोई भी, इंसान तो क्या जानवर भी, बाहर निकलने की हिम्मत नहीं जुटा पा रहा था।
ऐसे में बादशाह अकबर और बीरबल दोनों मौसम का मजा ले रहे थे। और आपस मे बातें कर रहे थे।
बादशाह बोले, बीरबल चलो कहीं घूम कर आते हैं, जो हुक्म जहांपना, कहकर दोनों नगर भ्रमण पर निकल पड़े।
नगर में घूमते हुए अचानक बादशाह अकबर की नजर एक सरोवर पर पड़ी।
बादशाह अकबर, ने बीरबल से पूछा क्यों बीरबल स्नान करोगे।

 बीरबल ने कहा, जहांपना इतनी ठंड में एक पंछी भी इस सरोवर में नहीं आ रहे हैं ऐसे में स्नान करना तो दूर शरीर से अंग वस्त्र भी उतरना मुस्किल है। पर आपकी आज्ञा है तो पूरी करना ही पड़ेगा।

बीरबल, "बादशाह अकबर ने कहा" हमें एक विचार आया है।

फरमाइए जहांपना,

बीरबल सारे नगर में घोंसड़ा जारी कर दिया जाए कि जो भी इंसान पूरी रात  इस सरोवर के अंदर गले तक जल में खड़े होकर बिताएगा उसे मैं इस राज्य का आधा हिस्सा और एक हजार सोने की मोहरें इनाम के रूप में दूंगा ।

बीरबल, जो हुक्म जहांपना ।

और दोनों लोग वापस लौट आए।

हुक्म के मुताबिक दूसरे दिन सुबह होते ही सारे नगर में फरमान जारी कर दिया गया।

बीरबल ने सैनिकों को नगर के कोने कोने में भेजकर ये फरमान जारी करवा दिया। कि जो भी व्यक्ती नगर के बड़े सरोवर के अंदर गले तक जल में खड़े होकर पूरी रात बिना किसी सहारे के बिताएगा उसे शहंशाहे आलम बादशाह अकबर ईनाम के रूप में इस राज्य का आधा हिस्सा और एक हजार सोने की मोहरें दी जायेंगी।

पूरे नगर में लोग इतनी बड़ी घोंसड़ा सुनने के बाद भी सरोवर में रात बिताने की बात तो दूर थी कोई उसके पास भी नहीं जा रहा था।

उसी नगर में  कोने पर एक गांव था। वह गांव उस नगर का सबसे आखरी गांव था। वहां से ही दूसरे राज्यों की सल्तनत शुरू हो जाती थी। उसी गांव में एक गरीब लड़का अपनी बूढ़ी, बीमार मां के साथ एक टूटी फूटी झोपड़ी में रहा करता था। इतनी जबरदस्त ठंड में शरीर पर फटे पुराने कपड़ों के अलावा एक कंबल तक नहीं था। बस किसी तरह से जिंदगी जिए जा रहे थे।

उसे जब इस खबर के बारे में जानकारी प्राप्त हुई तो वह तैयार हो गया। लेकिन उसकी मां ने कहा बेटा तू ही तो मेरा इकलौता सहारा है तुझे कुछ हो गया तो मैं कहां जाऊंगी किसके सहारे जिऊंगी


लेकिन किसी तरह से अपनी मां को समझा बुझा कर बात को मनवा लिया और अगले ही दिन सुबह सुबह राजमहल की ओर निकल गया।

राज महल तक पहुंचते पहुंचते लगभग शाम हो चली थी।

राज महल में पहुंच कर राजदरबारियों से अपनी बात कही।

राज दरबारी उसे राज महल में ले जा कर सीधा बादशाह अकबर के सम्मुख उपस्थित किया।

बादशाह अकबर ने उस लड़के से पूछा क्या तुम पूरी रात उस सरोवर में खड़े रह पाओगे।

जी, हुजूर कोसिस करूंगा, बाकी तो ऊपर वाला ही जाने।

बादशाह अकबर ने बीरबल से पूछा, क्यों बीरबल क्या कहते हो?

हुजूर रात होने में बस कुछ ही समय शेष बचे हैं। आजमा लेते हैं। 

हां तो... ठीक है भेज दो।

लड़के को कुछ पहरेदारों के साथ सरोवर की ओर भेज दिया गया। और पहरेदारो को ये सख़्त हिदायत दी गई। कि पूरी रात उस लड़के पर नजर रखें और कुछ गड़बड़ दिखाई दे तो लड़के को सरोवर से बाहर निकाल लिया जाए। वर्ना इस कड़ाके की ठंड में लड़के की जान न चली जाए।

सरोवर के पास पहुंच कर पहरेदारों ने, जैसे ही सूरज डूबा लड़के को सरोवर के जल में खड़ा कर दिया। और निगरानी करने लगे ।


पूरी रात उस लड़के ने घनी ठंडी और धुंध के बीच इस उम्मीद के साथ बिता दिया कि सुबह होते ही उसकी सारी गरीबी दूर हो जाएगी । 1000 सोने की मोहरें मिलेंगी तो वह अपनी बीमार मां का इलाज करवाएगा। अपने तथा अपनी मां के लिए अच्छा सा कपड़ा खरीदेगा अच्छा भोजन करेगा।

अपनी झोपड़ी की जगह पर एक अच्छा सा घर बनाएगा। बड़े ही सुकून से जिंदगी बीतेगी। सारी गरीबी दूर हो जाएगी।

कुछ इसी तरह सोचते सोचते पूरी रात बीत गई। और सवेरा हो गया। लड़के की जीत हुई और पहरेदारों ने उसे राजदरबार में उपस्थित किया।


बादशाह अकबर ने उस लड़के से पूछा कि पूरी रात तुमने कैसे बिताई क्या सोच रहे थे तुम और क्या क्या देखा।

लड़के ने जवाब दिया जहांपना मैंने पूरी रात अपनी बूढ़ी मां और अपनी गरीबी के बारे में सोचता रहा और धुंध के बीच दूर एक महल में एक दीपक जल रहा था बस उसी को देख कर पूरी रात हमने गुजार दी।

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