बीरबल की महानता (भाग दो)

बीरबल की खिचड़ी

भाग दो
सरोवर से बाहर निकाल कर पहरेदारों ने उसे राजदरबार में उपस्थित किया।
वहां पर बादशाह अकबर के साथ मंत्री बीरबल तथा अन्य सभी बड़े से बड़े सभासद वहां मौजूद थे।
बादशाह अकबर ने लड़के से पूछा बताओ तुमने रात में क्या क्या देखा रात कैसे गुजरी।
जहांपना रात भर मैने अपनी मां के बारे मे सोचता रहा। बादशाह अकबर ने लड़के से फिर पूछा क्या तुमने और कुछ नहीं देखा।
थोड़ा सोचने के बाद लड़के ने जवाब दिया। हुजूर वहीं से थोड़ी दूर पर एक हवेली के तीसरे माले पर एक दीपक जल रहा था।
बस पूरी रात मैं उसी को देखता रहा ओर कब रात बीत गई कुछ पता ही नहीं चला।
हूं..... इसका मतलब यह है कि तुमने पूरी रात उस दीपक की लौ में गर्मी लेते हुए बिताई है इसलिए तुम ईनाम के हकदार नहीं हो, तुम्हें यह ईनाम नहीं दिया जायेगा, "बादशाह अकबर ने लड़के से कहा"।
ये सुनते ही मानो लड़के के पैरों के नीचे से ज़मीन ही खिसक गई हो, आंखों से आंसू छलक पड़े । रात भर की सारी मेहनत पर मानो पानी ही फिर गया।
लड़के ने आंखों में आंसू भर कर एक आशा भरी निगाहों से बीरबल की तरफ देखा।
 और फिर रोते हुए अपने घर की तरफ चला गया।
बीरबल ने ये सब देख कर मन ही मन लड़के को इंसाफ दिलाने की ठान ली। और राज्य सभा से बाहर निकल गए।
बादशाह अकबर कहीं भी जाते थे तो अकसर वो बीरबल को साथ लेकर ही जाते थे।
एक दिन बादशाह अकबर को किसी जरूरी काम से कहीं जाना था। साथ में बीरबल को ले जाना भी बहुत जरूरी था। ये बात बीरबल को पहले से ही मालूम थी। इस लिए जब सैनिक उन्हें बुलाने आए तो उन्होंने जवाब दिया कि जाओ और जाकर जहाँपना से कहना कि बीरबल खिचड़ी बना रहे हैं जब बन जायेगी तो खिचड़ी खाकर आयेंगे।
इतना सुन कर सैनिक चले गए और जैसा बीरबल ने कहा था वैसा ही बादशाह अकबर को बता दिया।
बादशाह अकबर ने सोचा चलो खिचड़ी बनने में थोड़ी देर ही लगती है जल्दी ही आ जायेंगे। और इंतजार करने लगे। धीरे धीरे समय बीतता जा रहा था और बीरबल नहीं आए।
दुबारा सैनिकों को भेजा गया। 
थोड़ी ही देर बाद सैनिक वापस लौट आए और फिर वही जवाब दिया "बीरबल खिचड़ी बना रहे हैं और खिचड़ी खाकर आयेंगे।"
थोड़ी देर इंतजार करने के बाद जब नहीं रहा गया तो बादशाह ने फिर से सैनिकों को भेजा और फिर वही जवाब आया।
"खिचड़ी बना रहे हैं और खिचड़ी खाकर आयेंगे।"
बीरबल की राह देखते देखते लगभग शाम होने को आ गई लेकिन बीरबल की खिचड़ी नहीं बन पाई।
थोड़ी देर इंतजार करने के बाद बादशाह अकबर ने सोचा आखिर ऐसी कौन सी खिचड़ी बना रहे हैं बीरबल जो पूरा दिन पकाने के बाद भी अभी तक नहीं बन पाई है। लगता है जाकर हमें स्वयं देखना पड़ेगा। और बादशाह अकबर, बीरबल के महल की ओर निकल पड़े।
थोड़ी ही देर में बादशाह, बीरबल के घर पहुंच गए और देखा कि बीरबल एक मटकी को लगभग 20फुट ऊंचे बांस से बांध कर जमीन पर खड़ा कर दिया है और नीचे कुछ लकड़ियां जला रखी है।
बादशाह अकबर ये सब देख कर बड़े आश्चर्य चकित हुए और पूछा "बीरबल ये तुम क्या कर रहे हो।"
जहांपना खिचड़ी बना रहा हूं।
ऐसे कैसे खिचड़ी बनेगी। उस मटकी में तो आंच ही नहीं लग रही होगी तो कैसे तुम्हारी खिचड़ी बनेगी ?
क्यों नहीं बनेगी जहांपना थोड़ी देर रुकिए बन जायेगी, "बीरबल ने कहा।"
"ऐसे तो पूरी उम्र निकल जायेगी लेकिन खिचड़ी नहीं बनेगी क्यों बेवकूफों जैसी हरकत कर रहे हो बीरबल, बादशाह अकबर ने कहा।"
जहांपना जिस तरह उस दिन उस लड़के को एक सरोवर के बीच में खड़े होकर, दूर एक हवेली में जलते हुए दीपक से गर्मी मिल सकती है तो मेरी खिचड़ी क्यों नहीं बन सकती।
इतना सुनते ही बादशाह अकबर एकदम से चुप हो गए। वह समझ गए की बीरबल ऐसा क्यों कर रहे हैं।
बादशाह अकबर का सर शर्म से झुक गया बोले बीरबल तुमने मेरी आंखें खोल दी। हमें हमारी गलती का एहसास हो गया है आज चलो हमें कुछ जरूरी काम करना है उसे निपटाते है। और कल सबेरे ही उस लड़के को राजदरबार में बुलाकर उसे
पुरस्कृत करेंगे।
उसके बाद बीरबल, बादशाह अकबर के साथ गए और दूसरे दिन सुबह उस लड़के को बुलाया गया और घोसड़ा के अनुसार उस नगर का आधा हिस्सा तथा 1000सोने की मोहरें दे दी गई। जिसे पाकर लड़का बहुत खुश हुआ और बादशाह अकबर तथा बीरबल का शुक्रिया अदा किया।
बादशाह अकबर ने दो सिपाहियों के साथ लड़के को सुरक्षित उसके घर भेज दिया ।
लड़का खुशी खुशी अपने घर गया और अपने मां के साथ सुख पूर्वक रहने लगा।

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धन्यवाद

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