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फूल का अहंकार ( the flowers ego )

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समय समय की बात है कल तेरा था अब मेरा है। कुछ पल की काली रात थी फिर से नया सवेरा है।। एक सुंदर फूलों का बगीचा था उसमें हर तरह के रंग बिरंगे फूल लगे हुये थे उसी बगीचे में एक गुलाब के पेड़ के निचे जड़ों के पास एक पत्थर पड़ा हुआ था। जो भी ब्यक्ति उस गुलाब के फूल को तोड़ने आता वह उस पत्थर के ऊपर पैर रखकर गुलाब के फूलों को तोड़ता था । There was a beautiful flower garden, in which all kinds of colorful flowers were planted, in the same garden a stone was lying near the roots under a rose tree.  Whoever came to pluck that rose flower, he used to break the rose flower by placing his foot on that stone. यह देखकर गुलाब बहुत खुश होता था मन ही मन उसे घमंड होता था की वह कितना भाग्यशाली है लोग उसके फूलों को तोड़कर उसकी सुगंध लेते हैं और खुश होते हैं लोग उसे कितना प्यार करते हैं! और फिर उस पत्थर का मजाक उड़ाते थे उस पत्थर से कहते कि देख तू कितना बदनसीब है लोग तुझे अपने पैरों से कुचलते है  और मुझे प्यार देते हैं मै कितना महान हूं मेरे सामने तेरी कोई औकात नहीं है तु कितना मनहूस है । Rose used to be ve...

राजा दशरथ जी ने श्रवण कुमार जी को क्यों मार दिया(Why did King Dashrath kill Shravan Kumar?)

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एक बार अयोध्या नगर में शेरों का आतंक बढ़ गया तो नगर के निवासियों ने अयोध्या के राजा दशरथ जी के पास अपनी परेशानी बताई कि रात में शेर उनके जानवरों को मारकर खा जाता है। Once the terror of lions increased in the city of Ayodhya, the residents of the city told their problem to King Dasharatha of Ayodhya that the lion kills and eats their animals at night. राजा दशरथ जी उनके साथ गये । उधर श्रवण कुमार अपने अंधे माता पिता की इच्छा पूर्ण करने के लिये उन्हें सभी तीर्थों की परिक्रमा करवाने कंधे पर लेकर निकले थे। उसी दौरान रात हो जाने की वजह से श्रवण कुमार  अयोध्या नगर के एक जंगल में तमसा नदी के तट पर ठहर गये। King Dasharatha went with them.  On the other hand, to fulfill the wishes of his blind parents, Shravan Kumar had taken them on his shoulder to circumambulate all the pilgrimages.  At the same time, as it was night, Shravan Kumar stayed in a forest in Ayodhya city on the banks of river Tamasa. उधर राजा दशरथ जी नगर वासियों को साथ लेकर उस शेर के शिकार के लिए उसी जंगल में गये हुए थे...

श्रवण कुमार के जन्म की कहानी(shravan kumar birth story)

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 राजा दशरथ जी जब अयोध्या पर राज कर रहे थे तब उनके ही शासन काल में ही उन्ही के राज्य के एक छोटे से गांव में शांतनु नाम का व्यापारी रहता था। शांतनु की पत्नी का नाम ज्ञानवती था। दोनों की कोई संतान नहींं थी। इस लिए संतान प्राप्ति के लिए दोनों ने मिलकर भगवान भोलेनाथ की आराधना किया और"ॐ नमः शिवाय।" मंत्र का जाप करने लगे । कई दिनों तक इसी मंत्र का जाप दोनों करते रहे । इन दोनो की कठोर तपस्या से खुश होकर शंकर भगवान प्रकट होकर इन दोनों से अलग अलग वरदान मांगने को कहा ।जिसके फलस्वरूप शांतनु ने अपने लिए एक पुत्र की मांग कीऔर ज्ञानवती ने एक पुत्री की मांग रखी। भगवान शंकर ने शांतनु से कहा ठीक है हम तुम्हे पुत्र देंगे जो बहुत ही गुणवान और मातृ पितृ भक्त होगा लेकिन बहुत कम आयु में उसकी मृत्यु हो जाएगी वह अल्पायु का होगा । और ज्ञानवती से बोले तुम्हारे लिए हम एक गुणवती और चरित्रवान पुत्री का वरदान दे रहे हैं। When King Dasharatha was ruling Ayodhya, during his reign, a merchant named Shantanu lived in a small village in his kingdom.  Shantanu's wife's name was Gyanvati.  Both had no chi...

श्रीराम जी की बहन कौन थी (who was the sister of Shri Ram ji )

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भगवान श्री राम जी की एक बहन भी थीं यह बात अभी तक बहुत लोगों को नहीं मालूम है। लेकिन वेदों, पुराणों में भी इसका वर्णन कहीं कहीं ही मिलता है और उनसे जुड़ी हुयी कई तरह की कहानियाँ भी प्रचलित हैं। कुछ लोगों ने अपने तर्क से कई प्रकार की कहानियां लिखी हुई हैं उन कहानियों में सबसे ज्यादा विश्वास करने योग्य जो है और जिसका प्रमाण धार्मिक पुस्तकों में भी मिलता है वह यह है । Many people still do not know that Lord Shri Ram had a sister too.  But its description is found somewhere in the Vedas, Puranas also and many types of stories related to them are also prevalent.  Some people have written many types of stories with their logic, which is the most believable among those stories and whose proof is also found in religious books. श्रवण कुमार जी के स्वर्गवास के बाद जब राजा दशरथ जी शांतनु और ज्ञानवती के पास पहुंचे तो चुपचाप खड़े हो गये।उन्हें समझ में नहीं आया कि क्या कहें । शांतनू जी को राजा दशरथ जी की आहट पता चल गई थी उन्हें पता चल गया था कि आने वाला व्यक्ति उनका पुत्र नहीं बल्कि कोई अजनबी ह...