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चालाक बहू ( clever daughter-in-law )

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एक ऐसी बहू जिसने अपनी चतुराई से पूरे परिवार को परेशान किया और एक ऐसी बहू जिसने  अपनी समझदारी से फिर से पूरे परिवार को एकजुट कर दिया A daughter-in-law who troubled the whole family with her cleverness and a daughter-in-law who  Reunited the whole family with his wisdom. एक गरीब आदमी था और उसके दो लड़के थे। वह आदमी अपने गांव में खेती किसानी करके अपना एवं अपने परिवार का पालन पोषण करता था।  धीरे धीरे उसका बड़ा लड़का जब शादी के योग्य हो गया तो उस गरीब आदमी ने किसी तरह उसकी शादी कर के एक सुंदर सी बहू घर लाया ।  There was a poor man and he had two boys.  The man used to take care of himself and his family by doing farming in his village.  Gradually, when his elder son became eligible for marriage, that poor man somehow married him and brought a beautiful daughter-in-law home. घर में सब लोग बहुत खुश थे। बहू ने आते ही घर की सारी जिम्मेदारी संभाल लिया । घर का हर काम वह बहुत ही अच्छे ढंग से किया करती थी। घर के किसी भी मामले को वह बहुत ही चालाकी एवं सूझ बुझ से निपटा लिया ...

कौवे की कहानी (the crow story )

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रामायण के धार्मिक एवं पवित्र ग्रंथ रामायण के एक प्रसंग के अनुसार श्रीराम चन्द्र जी अपने वनवास के एक दिन माता सीता के साथ एक पुष्प वाटिका में बैठे थे। श्री राम जी ने कुछ पुष्प तोड़कर एक सुंदर पुष्पों का हार बनवाया और अपने हाथों से माता सीता जी को पहनाया।  इसी प्रकार अनेक प्रकार के पुष्पों के आभूषण श्री राम जी ने सीता माता को धारण किए थे, वैसे ही माता सीता जी तो सुंदर थीं लेकिन इन फूलों के आभूषणों ने अपने पुष्पों के आभूषणों में चार चांद लगा दिए। हिंदू धार्मिक और पवित्र ग्रंथ रामायण में एक घटना के अनुसार, श्री राम चंद्र जी अपने वनवास के दौरान एक दिन माता सीता के साथ फूलों के बगीचे में बैठे थे।  श्री राम जी ने कुछ फूल तोड़कर एक सुन्दर फूलों का हार बनाया और अपने हाथों से माता सीता जी को पहनाया।  इसी प्रकार श्री राम जी ने अनेक प्रकार के फूलों के आभूषण बनाकर सीता माता को पहनाए, यद्यपि माता सीता सुन्दर थीं, परन्तु इन फूलों के आभूषणों ने उनकी सुन्दरता में चार चांद लगा दिए। पत्थर की कीमत या अन्य ऐसी कहानियों को पढ़ने के लिए यहां क्लिक करें उसी समय आकाश मार्ग से देवताओं ...

श्रीराम दरबार में हनुमान जी ने अपनी छाती क्यों फाड़ डाली?(Why did Hanuman tore his chest in Shri Ram's court?)

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जय सीताराम दोस्तों......… Jai Sitaram friends......... दोस्तो रामायण में वर्णन हैं की जब श्री राम चंद्र जी लंका पर विजय प्राप्त करके वनवास से वापस आ रहे थे तो उनके साथ  सुग्रीव, विभीषण, हनुमान आदि सभी बड़े महाबली योद्धा आयोध्या आये थे वह सब लोग श्रीराम जी का राज्याभिषेक देखने के लिए आये थे। Friends, it is described in Ramayana that when Shri Ram Chandra ji was coming back from exile after conquering Lanka, all the great warriors like Sugriva, Vibhishana, Hanuman etc. had come to Ayodhya, they all came to see the coronation of Shri Ram.  . श्री राम जी के राज्याभिषेक में बड़े बड़े ऋषि, मुनी  और देवी देवता नगर वासियों के वेश में शामिल हुए और कुछ आकाश मंडल से ही अपना अपना आशीर्वाद दिया और दर्शन कर के चले गए। श्रीराम का राज्याभिषेक बहुत ही धूम धाम से मनाया गया उसके बाद सभी लोग अपने अपने निवास स्थान पर वापस चले गए लेकिन सुग्रीव, हनुमान, विभीषण आदि लोग जो वनवास से उनके साथ आए थे वह लोग वही रूके हुये थे। In the coronation of Shri Ram ji, great sages, sages and deities attended the d...

ऊंट की चोरी (theft of a camel)

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दोस्तों यह कहानी उत्तर प्रदेश के अयोध्या जिले की है ।आयोध्या का एक गांव है कहुवा पुराने जमाने में यह गांव चोरो के लिए मशहूर था। लोगो का मानना था। कि यहां के लोग कुछ भी चोरी कर सकते हैं। इस लिए बाहर से इस गांव में आने वाले लोग हमेशा सावधान रहते थे। Friends, this story is from Ayodhya district of Uttar Pradesh. Kahuva is a village in Ayodhya. In olden days this village was famous for thieves.  People believed.  That people here can steal anything.  That is why people coming to this village from outside were always careful. एक बार इस गांव में एक लड़की की शादी होने वाली थी तो लोगों ने आपस में सलाह करके यह निर्णय लिया कि हम लोग होने वाली शादी में आने वाले बारातियों का कोई सामान हम नहीं चुराएंगे क्योंकी हमारे घर की बेटी उनके घर की बहू बनने वाली है और ऐसे में हमें उनकी कोई भी चीज चुरानी नहीं चाहिए। धीरे धीरे शादी का दिन आ गया। बारात गांव में पहुंच गई। बारातियों ने आते ही ये शर्त रख दी कि अगर इस गांव में मेरा एक भी सामान चोरी हो गया तो मैं बिना दहेज के दुल्हन ले जाऊंगा ।............

जंगल का भूत (ghost of the forest)

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एक घना जंगल था उस जंगल के बीच से एक रास्ता निकलता था । ये रास्ता एक गांव से दूसरे गांव की ओर जाता था। There was a dense forest, a path came out through the middle of that forest.  This road used to lead from one village to another. जंगल इतना ज्यादा घना और भयानक था कि लोग जिनको जंगल के रास्ते कहीं आना जाना हो या कोई और भी काम हो तो दिन में ही कर लिया करते थे। एक दिन एक आदमी जो किसी काम से जंगल के रास्ते दूसरे गांव गया हुवा था लेकिन वापस लौटने में उसे देर हो गयी जब वह वापस लौटा तो रात होने लगी । वह आदमी जंगल में कुछ ही दूरी पर आया था कि उसे एक चार या पांच साल का लड़का मिला जो रो रहा था। The forest was so dense and terrible that people who had to go somewhere through the forest or have any other work, used to do it during the day itself.  One day a man who had gone to another village through the forest for some work, but he was late in returning, when he returned, it was night.  The man had come some distance in the forest when he found a boy of four or five years who was cry...

दुर्योधन

दुर्योधन! महाभारत का ही नहीं विश्व के सबसे बड़े खलनायकों का आदिगुरू। आपको शायद यह शब्द अजीब लग रहा होगा लेकिन सत्य यही है। संसार में एक से एक हिंसक और खूँख्वार  पात्र हुये लेकिन दुर्योधन संसार का पहला अनूठा खलनायक था। क्या वह रावण से ज्यादा खतरनाक योद्धा था? क्या वह अलैग्जेंड्रिया की लाइब्रेरी जलाने वाले खलीफा उमर  से बड़ा बर्बर था? क्या वह तैमूर गजनवी और औरंगजेब जैसे मुस्लिम बादशाहों जैसा हत्यारा था? नहीं, वह इन पैशाचिक गुणों में इनके आसपास भी नहीं था लेकिन उसमें एक ऐसी कला थी जिसने न केवल उस युग के जनसामान्य ही नहीं बल्कि राजनीति के माहिर ऋषियों व राजाओं को भी भ्रमित कर दिया। वह घोर अन्यायी और परपीड़क होने के बावजूद स्वयं को पीड़ित  प्रदर्शित करने में माहिर था। वह झूठा केवल बात बनाने में माहिर था। उसकी इस कला ने उसके बर्बर कार्यों और पापों को ही नहीं ढंक लिया बल्कि उल्टे पांडवों को ही लगभग अधर्मी सिद्ध कर दिया। भरतवंश में योग्यतम राजकुमार को राज्य देने की परंपरा थी और उसने जनसामान्य के सामने सिद्ध कर दिया कि उसे केवल उसके पिता की नेत्रहीनता की सजा मिल रही है। उसने धूर्ततापू...

दृढ़ आत्मविश्वास

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लघु कथा         एक बार एक पक्षी समुंदर में से चोंच से पानी बाहर निकाल रहा था। दूसरे ने पूछा भाई ये क्या कर रहा है। पहला बोला समुंदर ने मेरे बच्चे डूबा दिए है अब तो इसे सूखा कर ही रहूँगा। यह सुन दूसरा बोला भाई तेरे से क्या समुंदर सूखेगा। तू छोटा सा और समुंदर इतना विशाल। तेरा पूरा जीवन लग जायेगा। पहला बोला देना है तो साथ दे। सिर्फ़ सलाह नहीं चाहिए। यह सुन दूसरा पक्षी भी साथ लग लिया। ऐसे हज़ारों पक्षी आते गए और दूसरे को कहते गए सलाह नहीं साथ चाहिए। यह देख भगवान विष्णु के वाहन गरुड़ जी भी इस काम के लिए जाने लगे। भगवान बोले तू कहा जा रहा है तू गया तो मेरा काम रुक जाएगा। तुम पक्षियों से समुंदर सूखना भी नहीं है। गरुड़ बोला भगवन सलाह नहीं साथ चाहिए। फिर क्या ऐसा सुन भगवान विष्णु जी भी समुंदर सुखाने आ गये। भगवान जी के आते ही समुंदर डर गया और उस पक्षी के बच्चे लौटा दिए।  अगर आत्मविश्वास दृढ़ है और सच्चे मन से कोई भी कार्य करने की ठान लो तो प्रकृति भी आपकी मदद में शामिल हो जाती है।