फूल का अहंकार ( the flowers ego )

समय समय की बात है कल तेरा था अब मेरा है। कुछ पल की काली रात थी फिर से नया सवेरा है।। एक सुंदर फूलों का बगीचा था उसमें हर तरह के रंग बिरंगे फूल लगे हुये थे उसी बगीचे में एक गुलाब के पेड़ के निचे जड़ों के पास एक पत्थर पड़ा हुआ था। जो भी ब्यक्ति उस गुलाब के फूल को तोड़ने आता वह उस पत्थर के ऊपर पैर रखकर गुलाब के फूलों को तोड़ता था । There was a beautiful flower garden, in which all kinds of colorful flowers were planted, in the same garden a stone was lying near the roots under a rose tree. Whoever came to pluck that rose flower, he used to break the rose flower by placing his foot on that stone. यह देखकर गुलाब बहुत खुश होता था मन ही मन उसे घमंड होता था की वह कितना भाग्यशाली है लोग उसके फूलों को तोड़कर उसकी सुगंध लेते हैं और खुश होते हैं लोग उसे कितना प्यार करते हैं! और फिर उस पत्थर का मजाक उड़ाते थे उस पत्थर से कहते कि देख तू कितना बदनसीब है लोग तुझे अपने पैरों से कुचलते है और मुझे प्यार देते हैं मै कितना महान हूं मेरे सामने तेरी कोई औकात नहीं है तु कितना मनहूस है । Rose used to be ve...